
मध्यप्रदेश के समस्त शासकीय विद्यालयों में लगभग सत्तर हजार अतिथि शिक्षक विगत तेरह वर्षों से बहुत ही अल्प मानदेय पर सेवाएं देते आ रहे हैं। तेरह वर्षों तक सेवा देने के बाद भी अतिथि शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित नहीं है। आर्थिक तंगी और असुरक्षित भविष्य से तंग आकर अभी तक 49 अतिथि शिक्षक आत्महत्या करके मौत को गले लगा चुके हैं। अतिथि शिक्षक लंबे समय से नियमितीकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह से मुलाकात करके अतिथि शिक्षकों के समर्थन में मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखने के लिए आग्रह किया था। समर्थन पत्र लिखने के लिए प्रदेश अध्यक्ष ने सभी अतिथि शिक्षकों की ओर से चांचौड़ा विधायक माननीय लक्ष्मण सिंह जी का आभार व्यक्त किया है।
कांग्रेस सरकार के समय भी लक्ष्मण सिंह भोपाल के शाहजहानी पार्क में अतिथि शिक्षकों के धरना स्थल पर पहुंच कर अतिथि शिक्षकों का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में अतिथि शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अतिथि शिक्षकों के सेवाकाल को देखते हुए सरकार को अतिथि शिक्षकों के हित में अन्य राज्यों की तरह नीति बनाकर नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करना चाहिए।
गुना सांसद के पी यादव,विधायक गोपीलाल जाटव, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, पूर्व विधायक जज पाल सिंह,पूर्व विधायक ब्रिजेन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह सलूजा भी अतिथि शिक्षकों के समर्थन में मुख्यमंत्री जी को पत्र लिख चुके हैं।
कई बार आवेदन देने के बाद भी अतिथि शिक्षकों को जनवरी से नहीं मिला मानदेय
जिला अध्यक्ष थान सिंह धाकड़,राकेश शर्मा और विनोद सेन ने कहा है कि अधिकारियों को कई बार आवेदन देने के बाद भी अतिथि शिक्षक मानदेय के लिए परेशान हो रहे हैं। चार महीने से मानदेय नहीं मिलने से अतिथि शिक्षकों को परिवार चलाने के लिए मजबूरी में मजदूरी करना पड़ रहा है।
Source - Jagran
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