
कर्मचारी प्रोविडेंट फंड से जुड़ा हर व्यक्ति कर्मचारी पेंशन स्कीम में खाता नहीं खुलवा सकता है। कर्मचारी पेंशन स्कीम में खाता खुलवाने के लिए कुछ शर्त हैं, इसमें एक सितंबर 2014 की तारीख काफी अहम है। जिन कर्मचारियों ने 2014 के बाद नौकरी करना शुरू किया है या फिर ईपीएफओ से जुड़े हैं और अगर उनकी सैलरी 15,000 रुपये से ज्यादा है तो वो कर्मचारी पेंशन स्कीम में खाता नहीं खुलवा सकते हैं।
सरकार ने ईपीएफ और ईपीएस के नियमों में बदलाव किया है। इसके लिए सरकार ने 22 अगस्त 2014 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके तहत सरकार ने दो अहम बदलाव किए थे। पहला, प्रोविडेंट स्कीम से जुड़ने के लिए मासिक वेतन की सीमा बढ़ा दी गई, पहले ये सीमा 6,500 रुपये थी जिसे बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया।
दूसरा बदलाव यह है कि मासिक वेतन 15,000 रुपये से ज्यादा होने पर कोई भी कर्मचारी, पेंशन स्कीम का लाभ नहीं उठा सकता है। जानकारों ने इस बदलाव की जांच-परख करते हुए बताया कि किसी कर्मचारी की सैलरी अगर 6,500 रुपये से कम थी तो उसे ईपीएफ और ईपीएस स्कीम दोनों से अनिवार्य रूप से जुड़ना पड़ता था।
हालांकि पहले कर्मचारी की सैलरी 6,500 रुपये से ज्यादा थी तो इसके लिए ईपीएफ स्कीम से जुड़ना वैकल्पिक था। कर्मचारी ईपीएफ और ईपीएस दोनों स्कीम में खाता खुलवा सकता था। अब मासिक आय 15,000 रुपये से ज्यादा होने पर कर्मचारी, पेंशन स्कीम से नहीं जुड़ सकता।
क्या कहता है ईपीएफ का नियम?
ईपीएफ स्कीम के नियम के अनुसार कर्मचारी अपने वेतन का 12 फीसदी ईपीएफ स्कीम में योगदान करता है और इतना ही योगदान कंपनी करती है। इस 24 फीसदी योगदान में कर्मचारी का 12 फीसदी और कंपनी का 3.67 फीसदी ईपीएफ अकाउंट में जाता है। बाकी का 8.67 फीसदी योगदान ईपीएस अकाउंट में जाता है।
अगर किसी को ईपीएस अकाउंट खोलने की इजाजत नहीं दी जाती है तो कंपनी पूरा योगदान ईपीएफ अकाउंट में देगी। इसके अलावा अगर कर्मचारी का ईपीएस अकाउंट है तो अनिवार्य ईपीएस योगदान (1,250 रुपये) से अधिक की कोई भी राशि ईपीएफ अकाउंट में जाएगी।
अगर खाता एक सितंबर से पहले खुला हो तो क्या होगा?
जानकारों का इस पर कहना है कि जो कर्मचारी पेंशन स्कीम से एक सितंबर, 2014 से पहले से जुड़े हैं, वे पेंशन स्कीम में योगदान जारी रखेंगे। इसमें उनके वेतन से कोई लेना-देना नहीं है।
Source - Amar Ujala
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