मध्य प्रदेश में 2.25 लाख कर्मचारियों को पेंशन पर टेंशन बढ़ गया है। बता दें कि प्रदेश सरकार कि ने कर्मचारियों के सामने एक शर्त रखी है। मध्य प्रदेश में यह प्रावधान है कि 33 साल की सर्विस पूरी होने पर ही फुल पेंशन आपको दी जाएगी।
प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारियों में 2.25 लाख ऐसे हैं, जो 33 साल की नौकरी पूरी करने के पहले ही रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में इनकी पेंशन पर खतरा हो सकता है। आपको बता दें कि ये शर्त अहर्तादायी सेवा (Qualifying Service) कहलाती है।
ये शर्त जो कर्मचारी पूरी नहीं कर पाएंगे, उन्हें पूरी पेंशन नहीं मिलेगी। अभी मौजूदा स्थिति में जो कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, उन्हें पूरी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतनमान के साथ इस अहर्ता अवधि को घटाकर 25 साल कर दिया था।
इस कारण केंद्र के सेवानिवृत कर्मियों को पूरी पेंशन मिल रही है। देश के ज्यादातर राज्यों में भी कर्मचारियों को पूरी पेंशन मिल रही है, लेकिन मध्य प्रदेश में केंद्र की तर्ज पर प्रावधान में संशोधन नहीं किया गया इसलिए यहां के कर्मचारियों को पेंशन का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस शर्त से होगा कर्मचारियों का नुकसान
1. जिनके विभाग का दूसरे विभाग में संविलियन हो गया। इस कारण वरिष्ठता की गणना संविलियन के बाद से की गई। इससे 33 साल या ज्यादा की नौकरी करने के बावजूद इनकी सेवा अवधि सात साल कम हो गई।
2. दैनिक वेतन भोगी, संविदा कर्मचारी नियुक्त होने के बाद नियमित हुए कर्मचारी। जब से ये नियमित हुए तब से ही उनकी सेवा अवधि शुरू होने की गणना की गई। इस कारण इन्हें वरिष्ठता में 6 से 10 साल तक का नुकसान हुआ।
3. अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले कर्मचारी। सरकारी कर्मचारी (Pension News) रहे माता-पिता की मृत्यु के बाद जिन लोगों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई, उनकी सेवा अवधि की गणना भी नियुक्ति दिनांक के बाद से ही की जा रही है।
UPS लागू होती है तो सभी संवर्गों
सामान्य प्रशासन विभाग की राज्य समिति ने पिछले तीन साल में कई बार शासन से पूर्ण पेंशन लागू करने की सिफारिश की थी। इसका समाधान यह है कि केंद्र द्वारा प्रस्तावित यूनिफाइड पेंशन स्कीम प्रदेश में लागू होती है तो सभी संवर्गों को फायदा होगा।
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