हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश ने असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार पांडे के टर्मिनेशन ऑर्डर को स्टे कर दिया है। मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन ने सिलेक्शन लिस्ट के रिवीजन के नाम पर डॉक्टर पांडे को टर्मिनेट कर दिया था। हाईकोर्ट ने एमपी गवर्नमेंट, प्रिंसिपल सेक्रेट्री हायर एजुकेशन और एमपीपीएससी सहित अन्य को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
अपॉइंटमेंट देने के बाद बिना गलती के टर्मिनेट कर दिया
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता टीकमगढ़ निवासी डॉ. जितेंद्र कुमार पांडे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एलसी पटने ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता नियमानुसार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, टीकमगढ़ में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। उसने नियुक्ति के बाद से ईमानदारी से दायित्व निभाया। इसके बावजूद पीएससी द्वारा चयन-सूची पुनरीक्षण के नाम पर चयन-सूची से बाहर कर दिया गया। जिसके आधार पर दो अगस्त, 2021 को बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया गया।
MPPSC पर हाईकोर्ट के आदेश की अनुचित व्याख्या का आरोप
दरअसल, हाई कोर्ट की युगलपीठ ने शिवेंद्र सिंह परिहार सहित अन्य के मामले में जो आदेश पारित किया था, उसकी अनुचित व्याख्या करते हुए याचिकाकर्ता सहित 32 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को बाहर का रास्ता दिखाया है। दिव्यांग कोटे को लेकर हाई कोर्ट ने पीएससी को जो दिशा-निर्देश दिए थे, उनका नियमानुसार पालन नहीं किया गया है।
Source - Bhopal Smachar
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.