सेंट्रल पेंशन अकाउंटिंग ऑफिस (सीपीएओ) पेंशन डिस्बर्स करता है। वह पेंशनर का पैसा उसके बैंक अकाउंट में भेजता है। यह रकम ऑथराइज्ड बैंक में भेजी जाती है। फ्रॉड से बचने के लिए सीपीएओ अक्सर बैंक खाते में बदलाव करने से बचता है। हालांकि अगर पेंशन पाने वाले को बैंक या ब्रांच एक्सेस करने में दिक्कत हो रही है, तो वे बैंक या ब्रांच बदलने की एप्लिकेशन दे सकते हैं।
कैटिगरी
सीपीएओ यह बदलाव तीन तरह से करता है। पहला तो उसी बैंक की किसी और ब्रांच में पेंशन भेजी जा सकती है। दूसरा, किसी लोकेशन के किसी और बैंक में और तीसरा बदलाव सभी लोकेशन और बैंक को लेकर किया जा सकता है। इसमें पहली कैटिगरी का बदलाव सबसे आसान है। दरअसल, बैंकों के पास डेजिग्नेटेड लिंक बैंक होता है, तो पेंशन प्रॉसेस करता है।
ऐप्लिकेशन
उसी लोकेशन में पेइंग बैंक में बदलाव या अलग लोकेशन पर किसी बैंक में पेमेंट के लिए पेंशन पाने वाले को रिटेन एप्लिकेशन देनी होती है। इसे पुराने बैंक के मैनेजर से अटेस्ट करवाना होता है।
कॉपी
ट्रांसफर रिक्वेस्ट की कॉपीज पुराने और नए बैंक की लिंक ब्रांच को भेजी जाती है। इसकी एक कॉपी सीपीएओ के पास भी जाती है। वह बैंक डिटेल में जरूरी बदलाव करता है और नए अकाउंट में पेंशन भेजने की व्यवस्था इस तरह से होती है। इस लेटर के साथ पेंशन पेमेंट ऑर्डर भी अटैच करना पड़ता है।
प्रॉसेस
आप ट्रांसमिशन के दौरान भी नई ब्रांच में पेंशन पा सकते हैं। इसके लिए पीपीओ और ट्रांसफर रिक्वेस्ट दिखानी पड़ती है।
इन बातों का ख्याल रखें
1. नया बैंक रिक्वेस्ट लेटर और पीपीओ के आधार पर प्रॉसेस कंप्लीट हुए बगैर भी 3 महीने तक पेमेंट कर सकता है।
2.पुराने बैंक की ओर से आखिरी पेमेंट की तारीख पीपीओ की बैंक कॉपी पर दी जाती है।
3. इसे लिंक बैंक को भेजा जाता है, ताकि डबल पेमेंट की गलती न हो।
Source - http://nrmu.net/
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